प्रतापगढ़। जनपद के विकास खण्ड कुण्डा में आम के बागों की बैगिंग का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इस कार्य का निरीक्षण करने के लिए औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र खुशरूबाग, प्रयागराज के मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने ग्राम महराजपुर का दौरा किया।
ग्राम महराजपुर के निवासी अजय सिंह के 2 हेक्टेयर के आम के बाग में बैगिंग की प्रक्रिया को लागू किया गया था। बैगिंग के परिणामस्वरूप आम के फलों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। ये फल अब बेदाग और उच्च गुणवत्ता वाले हैं, जिनकी बाजार में सामान्य आम के मुकाबले दोगुनी कीमत मिल रही है।
बैगिंग की प्रक्रिया के अंतर्गत आम के फलों को विशेष प्रकार के बैग में लपेटा जाता है, जिससे वे कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं और उनकी गुणवत्ता बनी रहती है।
इन उच्च गुणवत्ता वाले बैगिंग किए हुए आम के फलों को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजने की तैयारी की जा रही है। जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि इन आमों को कुण्डा, प्रतापगढ़ से दुबई निर्यात करने की योजना बनाई जा रही है।
यह कदम क्षेत्र के किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में भी पहचान मिलेगी। बैगिंग प्रक्रिया का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन और निरीक्षण से यह स्पष्ट हो गया है कि तकनीकी कृषि विधियों के प्रयोग से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और कीमत में सुधार संभव है।
आम की बैगिंग एक तकनीक है जिसके तहत फलों को विशेष प्रकार के बैग में लपेटा जाता है। इससे फल फंगल संक्रमण, मक्खी संक्रमण, कीट से होने वाले नुकसान और मौसम के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहते हैं। 'किसान तक' की आम सभा में आम निर्यातक अकरम बेग ने बताया कि आम की फसल की अच्छी कीमत पाने के लिए किसान आम पर बैगिंग जरूर लगाएं। एक किलो आम के लिए एक बैगिंग की कीमत मात्र 2 रुपये होती है, जिसमें चार आम समा सकते हैं। यानी 2 रुपये के खर्च पर चार आम को क्वालिटीयुक्त बनाया जा सकता है।
बैगिंग अपनाने से आम का स्वाद, स्किन कलर और साइज बेहतर होता है, जिससे फल एक्सपोर्ट लायक हो जाता है। मानक के अनुसार, निर्यात के लिए एक आम का वजन 250 ग्राम होना चाहिए। अगर बैगिंग पर किसान 10 रुपये खर्च करते हैं तो उस पर सीधे-सीधे 20 रुपये प्रति किलो मुनाफा मिल सकता है। यह तकनीक न केवल निर्यात के लिए बल्कि घरेलू बिक्री के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि यह आम की गुणवत्ता को और बेहतर कर देती है। बैगिंग के जरिए किसान 12 पीस आम के साथ 3 किलो की पैकिंग बना सकते हैं और उसे अच्छे से पैकेजिंग करके भारत में ही आम का अच्छा भाव प्राप्त कर सकते हैं।
आम के प्रगतिशील किसान उपेंद्र सिंह ने बताया कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ छोटे आम किसानों को बैगिंग सहित अन्य तकनीकों की ट्रेनिंग दे रही है। उपेंद्र सिंह ने कहा कि 2016 से CISH से जुड़े होने के बाद उन्होंने इंटरक्रॉपिंग, मिनिमम पेस्टीसाइड, और बैगिंग के तरीके सीखे हैं। इन तकनीकों को अपनाने से आम की कीमत 4 गुना ज्यादा मिली है। उन्होंने 18-20 रुपये के आम को 150 रुपये किलो में बेचा है। CISH में आम की 775 से ज्यादा किस्मों का संरक्षण किया गया है, जिनमें से नई वैरायटी भी विकसित की जा रही है।
इन उच्च गुणवत्ता वाले बैगिंग किए हुए आम के फलों को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजने की तैयारी की जा रही है। जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि इन आमों को कुण्डा, प्रतापगढ़ से दुबई निर्यात करने की योजना बनाई जा रही है।
यह कदम क्षेत्र के किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में भी पहचान मिलेगी। बैगिंग प्रक्रिया का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन और निरीक्षण से यह स्पष्ट हो गया है कि तकनीकी कृषि विधियों के प्रयोग से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और कीमत में सुधार संभव है।
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