प्रतापगढ़: जिला कृषि अधिकारी ने जिले के सभी किसान भाइयों को सूचित किया है कि फसलों को लू-प्रकोप (हीटवेव) से बचाने और भूमि में जल एवं नमी के संरक्षण हेतु कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करें।
उन्होंने बताया कि भूमि में नमी संरक्षण के लिए मल्चिंग और खरपतवार नियंत्रण को सुनिश्चित करें। मल्चिंग के लिए जैव उत्पाद (बायोमास) का उपयोग करें और फसलों के पौध अवस्था में ही मल्चिंग करें।
सिंचाई जल की क्षति को न्यूनतम करने के लिए स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई विधियों का प्रयोग करें। खेतों में नियमित अंतराल पर सायंकाल में हल्की सिंचाई करें। नमी की वाष्पीकरण से होने वाली हानि को रोकने के लिए समय-समय पर अंतःकर्षण क्रियाओं से मल्व का उपयोग करें।
खेतों में जैविक खादों का प्रयोग करें और फसलों की बुवाई पंक्तियों में करें। सिंचाई नाली में जल की क्षति को कम करने के लिए पॉलीथीन शीट का उपयोग करें। सिंचाई पूर्ण होने पर इस शीट को हटा लें। सिंचाई हेतु कन्वेंस पाइप का उपयोग भी किया जा सकता है।
खेत को समतल रखें ताकि सिंचाई जल पूरे खेत में समान रूप से वितरित हो सके। ऊंची भूमियों में सिंचाई के लिए कंटूर ट्रेंच विधियों का प्रयोग करें। वर्षा के बहते जल का संग्रहण और संरक्षण करें ताकि फसलों की जीवन रक्षक सिंचाई सुनिश्चित हो सके। भूजल का अत्यधिक दोहन न करें।
कठोर अवमृदा/चट्टानी इलाकों के कुओं में जल की निरंतरता बनाए रखने के लिए थोड़े-थोड़े समय की पम्पिंग करें। धान नर्सरी में पर्याप्त नमी रखें और पानी की निकासी सुनिश्चित करें।
© Copyright 2025 by शिवंलेख - Design & Developed By Codes Acharya