जिला कृषि रक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने बताया है कि वर्तमान में खरीफ के अन्तर्गत धान की नर्सरी डालने का समय नजदीक आ गया है, कृषक भाइयों को सूचित करना है कि धान की नर्सरी डालने से पहले बीज शोधन अवश्य किया जाये। फसलों में रोग मृदा, वायु एवं कीट द्वारा फैलते है, बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार सम्भव नहीं है। विगत वर्षो में जिन कृषक भाईयों ने बीज शोधन अपनाया था उनके फसल में व्याधि नहीं पायी गयी है। बीज जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज शोधन एवं भूमि शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होने किसान भाईयों से कहा है कि बीज शोधन एवं भूमि शोधन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति विशेष ध्यान देना होगा।
उन्होने बीज शोधन के सम्बन्ध में बताया है कि बीज को रात भर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन पानी से निकालकर अतिरिक्त पानी निकल जाने के बाद 2.5-3 ग्राम कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत या थीरम 75 प्रति0 अथवा 4 से 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा वायो रसायन प्रति किग्रा0 बीज की दर से 5 लीटर पानी में 10 ग्राम गुड़ के साथ घोलकर बीज में मिला दिया जाये, इसके बाद छाया में अंकुरित होने तक रखा जाये, तत्पश्चात् नर्सरी डाली जाये, साथ ही साथ भूमि शोधन हेतु 2.5 किग्रा0/हेक्टे0 ट्राइकोडर्मा या ब्यूबेरिया बैसियाना बायो रसायन को 75 किग्रा0 सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-12 दिन तक छायायुक्त स्थान पर रखकर पानी के छीटे मारते रहें तत्पश्चात् इस 75 किग्रा0 गोबर की खाद जो कि बायो पेस्टीसाइड में तब्दील हो चुका है। इसे जुताई करके खेत में मिला दें इससे खेत में मौजूद दीमक एवं फफूंद से छुटकारा मिलेगा साथ ही साथ खेत में जैविक खाद की कमी भी पूर्ण हो जायेगी। उपरोक्त बीज शोधन/भूमि शोधन रसायन कृषि रक्षा इकाईयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। उन्होने सभी कृषक भाईयों को सूचित किया है कि रसायनों पर अनुदान की सुविधा केवल पंजीकृत कृषकों को ही देय होगी एवं अनुदान का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे कृषक के खाते में किया जायेगा।
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