दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने हाल ही में बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में बसाने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करने का दावा किया है। इस रैकेट के माध्यम से बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराया जा रहा था। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं। ये सभी लोग बांग्लादेश से घुसपैठ कराने और दिल्ली व कोलकाता जैसे बड़े शहरों तक उन्हें पहुंचाने का काम करते थे। साथ ही, इन घुसपैठियों के लिए फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड बनवाने का भी इंतजाम किया जा रहा था।
पुलिस के अनुसार, यह मामला पिछले साल अक्टूबर में एक हत्या के केस की जांच के दौरान सामने आया। उस समय, पुलिस ने 33 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था, जिन्हें बाद में वापस बांग्लादेश भेज दिया गया। इन्हीं गिरफ्तारियों के दौरान पुलिस को एक बड़े रैकेट के सुराग मिले, जो बांग्लादेश से भारत तक अवैध रूप से लोगों को पहुंचाने और उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में सक्रिय था।
पुलिस जांच के अनुसार, यह रैकेट कई स्तरों पर काम कर रहा था। इस गिरोह का सरगना अनीश शेख नाम का व्यक्ति है, जो खुद बांग्लादेशी है और करीब 15 साल पहले भारत आया था। भारत में आने के बाद, उसने फर्जी दस्तावेज बनाने वालों से सांठगांठ की और अपने रैकेट का विस्तार करना शुरू कर दिया।
गिरोह का नेटवर्क तीन प्रमुख हिस्सों में बंटा हुआ था:
इस रैकेट के खुलासे के बाद पुलिस ने अब तक छह आधार कार्ड और पांच पैन कार्ड बरामद किए हैं। इसके अलावा, पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में अनीश शेख के साथ बिलाल, तान्या, आशीष मेहरा और अमीनुर इस्लाम शामिल हैं। हालांकि, रैकेट का मुख्य सरगना अनीश शेख फिलहाल बांग्लादेश भाग चुका है।
पुलिस के मुताबिक, यह रैकेट सिर्फ एक व्यक्ति या एक गैंग तक सीमित नहीं है। इसमें कई गिरोह मिलकर काम कर रहे हैं। यह एक संगठित नेटवर्क है, जो बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने और उन्हें बसाने में मदद करता है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों के इस रैकेट का खुलासा भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती को दर्शाता है। यह रैकेट न केवल देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाता है, बल्कि इसके जरिए फर्जी दस्तावेजों का निर्माण भी गंभीर अपराध है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, लेकिन यह समस्या अभी भी पूरी तरह से हल नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि वे इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए आगे की जांच जारी रखे हुए हैं।
यह मामला यह भी दिखाता है कि कैसे संगठित गिरोह भारत में अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए सख्त कदम उठाने और ऐसे रैकेट्स को खत्म करने की आवश्यकता है।
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