बांग्लादेश में आज एक खबर आग की तरह फैल गई और हजारों वीडियो वायरल हो गए। बांग्लादेश में खबर फैलाई गई कि अराकान आर्मी ने बांग्लादेश पर हमला कर दिया है। कई हजार लड़ाके बांग्लादेश की सीमा के अंदर कब्जा जमा चुके हैं। आर्मी के बम फेंकने दौड़ाने शरणार्थी कैंप्स पर हमले के तमाम वीडियो वायरल किए गए। अब इन वीडियो की हकीकत क्या है? क्या वाकई में किसी दूसरे देश की सेना बांग्लादेश के अंदर दाखिल हो गई है? जिस आर्मी की चर्चा पूरे बांग्लादेश में हो रही है वह कौन है? कौन सी आर्मी है? इसका मकसद क्या है? पूरी डिटेल इस रिपोर्ट में है।
बांग्लादेश सरकार के एक प्रामर्श दिया गया कि यह खबर गलत है। अपना मूस्पर्क नक्षे तैयार करें कि यह खिलास खुद करें सपन को बाश मुसलमानों के खिलाफ करक लोग मोडी हो जा रहे हैं।
लेकिन सच यह है कि बांग्लादेश की हालत बहुत खराब हो चुकी है। देश के अंदर ही अंदर जहादियों के बीच जंग छिड़ चुकी है। अलग-अलग कट धर्म और प्रचार के नाम पर खून खींचा जा रहा है। दूसरी ओर, बांग्लादेश-म्यांमार बॉर्डर पर बढ़ रही टेंशन भी यूनुस की नींद उड़ा रही है। सवाल यह है क्या हिंदुस्तान से टेंशन मोल लेकर बांग्लादेश पर बड़ा संकट आ गया है?
बांग्लादेश में रजाकार और जिहादी सिस्टम को हाईजैक करने जा रहे हैं? क्या चुनाव से पहले ही बांग्लादेश में बड़ा खेल होने वाला है? मोहम्मद यूनुस 2025 में चुनाव का एलान जरूर कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी पता है की अभी बांग्लादेश बुरे संकट में घिरा हुआ है।
मोहम्मद यूनुस के लिए सबसे बड़ी टेंशन जिहादियों की अलग-अलग टोलियां हैं जो अब खुल्लम-खुल्ला एक दूसरे से भिड़ रही हैं। गाजीपुर के टोंगी में इज्तेमा मैदान पर कंट्रोल को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई। मौलाना जुबेर और तबलीगी जमात वाले मौलाना साथ के समर्थक भिड़ गए। हिंसा में कई दर्जन घायल हुए।
बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा अब देश को भीतर से झकझोर रही है। इस बीच, म्यांमार बॉर्डर पर बढ़ता तनाव एक नई चुनौती बनकर उभर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, म्यांमार का विद्रोही गुट, जिसे अराकान आर्मी के नाम से जाना जाता है, ने बांग्लादेश की सीमा के निचले हिस्से पर कब्जा जमा लिया है।
अराकान आर्मी ने अपने बयान में दावा किया है कि बांग्लादेश की सीमा पर जिहादी गुट हिंदुओं और बौद्धों पर अत्याचार कर रहे हैं। इसने रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप्स में सक्रिय 11 मिलिटेंट ग्रुप्स जैसे रोहिंग्या सॉलिडेरिटी आर्मी और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी पर हत्या, रेप और अपहरण जैसे अपराधों के आरोप लगाए हैं। अराकान आर्मी का कहना है कि इन जिहादी गुटों का अलकायदा और जमात-ए-इस्लामी से गठजोड़ है और ये मुस्लिम आबादी का उपयोग ह्यूमन शील्ड के रूप में कर रहे हैं।
रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि बांग्लादेशी सेना और अराकान आर्मी के बीच झड़पें हुई हैं। हालांकि, बांग्लादेश की सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अराकान आर्मी ने टेकनाफ क्षेत्र के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। यह इलाका रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप और सेंट मार्टिन द्वीप के नजदीक स्थित है।
अराकान आर्मी म्यांमार का एक प्रमुख विद्रोही गुट है, जिसकी स्थापना 10 अप्रैल 2009 को हुई थी। इसके पास करीब 30,000 लड़ाके और उन्नत हथियार हैं। यह गुट म्यांमार के रखाइन प्रांत में अपनी आजादी, न्याय और समानता के लिए संघर्ष कर रहा है। अराकान आर्मी का दावा है कि वे अपनी पूर्वजों की जमीन और आजादी के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
अराकान आर्मी के बढ़ते प्रभाव के पीछे चीन का हाथ होने की संभावना जताई जा रही है। चीन कभी नहीं चाहेगा कि बांग्लादेश, अमेरिका का रणनीतिक सहयोगी बने। वह अराकान आर्मी के जरिए बांग्लादेश की सीमा पर तनाव को भड़काने की कोशिश कर सकता है।
बांग्लादेश में हिंदुओं और बौद्धों पर हो रहे हमलों और सीमा पर अराकान आर्मी के बढ़ते प्रभाव ने प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। इन घटनाओं के चलते बांग्लादेश की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
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