BPSC Protest : 29 दिसंबर की शाम पटना की सड़कों पर हुए प्रदर्शन को लेकर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों की अलग-अलग बातें सामने आईं। पटना सेंट्रल की एसपी स्वीटी सहरावत ने साफ कहा कि प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज नहीं हुआ। उन्होंने वायरल तस्वीरों को फर्जी करार दिया और कहा कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केवल अनुरोध किया गया था। उनका यह भी दावा है कि प्रदर्शनकारियों को समझाने की हरसंभव कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी।
प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को बार-बार माइकिंग कर समझाया गया। उनसे कहा गया कि वे अपने प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए भेजें, लेकिन वे अड़े रहे। धक्का-मुक्की का आरोप लगाते हुए प्रशासन ने कहा कि मजबूरी में वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। हालांकि, प्रशासन का यह भी कहना है कि लाठियां सिर्फ रस्म अदायगी के लिए उठाई गई थीं और लाठीचार्ज जैसी कोई घटना नहीं हुई।
दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी अपनी दर्दभरी कहानी बयां कर रहे हैं। ये अभ्यर्थी बिहार के दूरदराज इलाकों से पटना आए हैं, जहां वे 10x10 के छोटे से कमरे में रहते हैं। उनकी दिनचर्या में संघर्ष का हर पहलू झलकता है। सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए वे दाल-भात एक साथ कुकर में पकाते हैं, ताकि समय और पैसे की बचत हो। इनका संघर्ष केवल खुद तक सीमित नहीं है; इनके माता-पिता गांव से फोन कर उम्मीद भरी आवाज में पूछते हैं, "बाबू, इस बार नौकरी लग जाएगी न?"
यह सवाल आसान नहीं है। बिहार में सरकारी भर्तियों में धांधली, पेपर लीक और आखिरी समय में परीक्षाएं रद्द होने जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। यही कारण है कि ये अभ्यर्थी सड़क पर उतरने को मजबूर हुए। प्रदर्शन के दौरान वायरल हुई तस्वीरों में पुलिस को लाठीचार्ज करते और वाटर कैनन का इस्तेमाल करते दिखाया गया। लेकिन एसपी स्वीटी सहरावत ने इन तस्वीरों को फर्जी बताया। उनका कहना था कि लाठियां सिर्फ हल्के से उठाई गईं, न कि चलाई गईं।
यह पहली बार नहीं है जब आईपीएस स्वीटी सहरावत विवादों में घिरी हैं। 4 सितंबर 2023 को उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार से बहस करती नजर आईं। उस घटना के बाद उनका तबादला कर दिया गया। आईपीएस स्वीटी सहरावत 2019 बैच की अधिकारी हैं। उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 17 हासिल की थी। दिल्ली की रहने वाली स्वीटी ने हरियाणा के सोनीपत से अपनी स्कूलिंग की। उनके पिता दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल थे, जिनका 2013 में निधन हो गया था। दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनने का सपना साकार किया।
प्रदर्शनकारी पिछले 13 दिनों से पटना की सड़कों पर डटे हुए हैं। वे अपने हक की मांग कर रहे हैं। उनका दर्द सिर्फ इस प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके संघर्ष की कहानी काफी लंबी है। सरकारी नौकरी की चाह में वे हर मुश्किल का सामना कर रहे हैं, लेकिन धांधली और प्रशासनिक उदासीनता उनकी उम्मीदों पर पानी फेर देती है।
इस बीच, राजनीतिक दल अपनी-अपनी हमदर्दी बांट रहे हैं। लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अब तक नहीं दिखता। प्रदर्शनकारी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, वहीं प्रशासन अपनी मजबूरी और जिम्मेदारी का दावा कर रहा है। वायरल तस्वीरें और वीडियो इस पूरे मामले में सवाल खड़े करते हैं। एक तरफ प्रशासन तस्वीरों को फर्जी बता रहा है, तो दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी अपनी तकलीफें गिना रहे हैं।
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि उन युवाओं के संघर्ष की कहानी भी बयान करती है, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं। यह प्रदर्शन उनकी उम्मीदों, उनके सपनों और उनके सवालों का प्रतीक बन चुका है।
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