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Jan 11 2025 

सप्त दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला अत्यंत भव्यता से सम्पन्न

सप्त दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला अत्यंत भव्यता से सम्पन्न

ब्रेकिंग न्यूज

  •  02 Oct 2024
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प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग में सप्तम दिवस मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ प्रो. रेनू जौहरी द्वारा शंखनाद और गायत्री मंत्र के उच्चारण से किया गया। इसके पश्चात, संकायाध्यक्ष प्रो. संजोय सक्सेना, पूर्व कुलपति प्रो. स्वतंत्रत शर्मा, प्रो. इभा सिरोठिया और सभी शिक्षकगण द्वारा दीप प्रज्वलित कर माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

इसके बाद शोधार्थी प्रोननत तिवारी और शिव शंकर मिश्र ने प्रार्थना "हे प्रभु अपनी कृपा की छाँव में ले लीजिए" प्रस्तुत की। इनके साथ तबले पर शोधछात्र उदय नारायण पांडेय ने संगत की। इसके पश्चात, शोधार्थी राहुल कुमार ने भजन "ध्यान धरिये राम का" की प्रस्तुति दी, जिनके साथ तबले पर आदर्श चंद्रा और हारमोनियम पर गोपाल ने संगत की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. स्वतंत्र शर्मा और संकायाध्यक्ष प्रो. संजोय सक्सेना का पुष्पगुच्छ देकर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया गया। इसके पश्चात, विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू जौहरी ने अपने शोधार्थियों और विद्यार्थियों के साथ तीनताल में पेशकार, चाला, बांट, गत, टुकड़े और चक्करदार आदि का वादन कर कार्यक्रम का समापन किया। उनके साथ हारमोनियम पर शिव शंकर मिश्र ने संगत की।

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की प्रो. इभा सिरोठिया और उनकी छात्राओं ने "ओम नमोनारायणाय" का गायन किया, जिसके बाद "ओ दयालु दीन" की प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर रविन्द्र भट्ट ने संगत की। इसके पश्चात, डॉ. विशाल जैन के विद्यार्थियों ने राग मुल्तानी में बड़ा ख्याल "गोकुल गांव का छोरा" और छोटा ख्याल "आज बजत बधाई बरसाने में" की प्रस्तुति दी। अंत में, विद्यार्थियों ने कव्वाली "छाप तिलक सब छीनि रे मोसे नैना मिलाई के" का प्रदर्शन किया। उनके साथ तबले पर डॉ. गिरधर गोपाल मिश्र और हारमोनियम पर गोपाल ने संगत की।

तत्पश्चात, शोधार्थी शिव शंकर मिश्र ने एक चैती "मोतिया हेरा गए रे हे रामा" की प्रस्तुति दी, जिसके साथ तबले पर डॉ. गिरधर गोपाल मिश्र ने संगत की। मंच संचालन डॉ. विशाल जैन द्वारा किया गया, और धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू जौहरी ने किया। अंत में, मुख्य अतिथि द्वारा विषय विशेषज्ञों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।

कार्यशाला का समापन अत्यंत भव्य और गरिमापूर्ण तरीके से हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।

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