बलिया जिले के नरही थाने के एसएचओ पन्नेलाल कनौजिया की गिरफ्तारी ने पुलिस विभाग में फैले वसूली के गोरखधंधे को बेनकाब कर दिया है। पन्नेलाल पिछले दो साल से नरही थाने में तैनात थे, इस दौरान कई एसपी बदले लेकिन पन्नेलाल की पोस्टिंग यथावत रही।
पुलिस की इस कार्रवाई में कई उच्च अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं, जो इस वसूली नेटवर्क का हिस्सा बताए जा रहे हैं। खासकर, डीआईजी आजमगढ़ द्वारा स्वीकार किया गया कि प्रतिदिन पांच लाख रुपये वसूले गए, जो महीने के डेढ़ करोड़ और साल के 18 करोड़ तक पहुंच जाते हैं। यह वसूली मुख्यतः उन ट्रकों से की जाती थी जो सीमा पार करते थे।
पन्नेलाल की गिरफ्तारी से यह सवाल खड़ा होता है कि इतने बड़े पैमाने पर वसूली होने के बावजूद, डीआईजी, आईजी, एडीजी और डीजीपी मुख्यालय ने इस पर कोई उच्च स्तरीय जांच क्यों नहीं की। पन्नेलाल की तैनाती के दौरान कई एसपी बदले लेकिन किसी ने भी इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। यह एक बड़ी मिस्ट्री है कि इतने बड़े स्तर पर वसूली होते हुए भी पन्नेलाल को थाने में क्यों बनाए रखा गया।
विजिलेंस जांच सीओ स्तर के पुलिस अधिकारी पर बैठाई गई है, जबकि अन्य पीपीएस और आईपीएस अधिकारियों का सिर्फ तबादला हुआ है। इससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि इस नेटवर्क में उच्च अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
पुलिस विभाग की इस वसूली के खुलासे ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। डीआईजी आजमगढ़ ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि हर दिन पांच लाख रुपये वसूले गए, जिससे एक साल में 18 करोड़ रुपये की बड़ी रकम जमा की गई। पन्नेलाल का दो साल से अधिक समय तक नरही थाने में रहना और इस दौरान बड़ी-बड़ी रकम का वसूला जाना इस गोरखधंधे के व्यापक नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि कौन-कौन से आईपीएस अधिकारी पन्नेलाल के नेटवर्क का हिस्सा थे और उन्हें किन-किन अधिकारियों का समर्थन प्राप्त था। यह मामला पुलिस विभाग की साख पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है और जनता के बीच पुलिस की छवि को और धूमिल कर रहा है।
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