प्रतापगढ़, 26 सितंबर: एन.एम.ओ.पी.एस (राष्ट्रीय मूवमेंट ओल्ड पेंशन स्कीम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधुजी के आह्वान पर प्रतापगढ़ सहित देशभर के जनपदों में हजारों शिक्षक और कर्मचारी सड़कों पर उतरे और आक्रोश मार्च निकाला। यह मार्च राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (NPS) और यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ था, जिसमें प्रतिभागियों ने केंद्र सरकार की पेंशन नीतियों के प्रति अपना विरोध प्रकट किया।
मार्च की शुरुआत कम्पनी गार्डन से हुई, जहां एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा की अध्यक्षता अटेवा के जिलाध्यक्ष सी.पी. राव ने की, जबकि संचालन डॉ. विनोद त्रिपाठी (जिला संरक्षक और मण्डलीय महामंत्री) ने किया। सी.पी. राव ने अपने संबोधन में बताया कि यह मार्च अम्बेडकर चौराहा पर पहुँचकर समापन होगा, जहां जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने सभी संगठनों और विभागों का समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और आंदोलन को शांति पूर्ण तरीके से जारी रखने का आग्रह किया।
विनय प्रताप सिंह, जो इस कार्यक्रम के प्रभारी थे, ने कर्मचारियों से अपील की कि वे प्रशासन का सहयोग करते हुए शांति बनाए रखें। सुरेन्द्र विमल ने एनपीएस की तुलना में यूपीएस को अधिक नुकसानदायक बताते हुए कहा कि एक भी कर्मचारी यूपीएस के समर्थन में नहीं है। पार्वती विश्वकर्मा ने कहा कि एनपीएस धोखा है और यूपीएस एक महाधोखा।
पीडब्ल्यूडी जिलाध्यक्ष करुणेश सिंह मुन्ना ने कहा कि सबसे पहले अर्द्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन बहाल होनी चाहिए। लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष ऐनुल हसन ने बताया कि केंद्र सरकार ने 24 अगस्त 2024 को यूपीएस को मंजूरी दी है और इसे 1 अप्रैल 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों पर लागू किया जाएगा।
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अखिलेश पांडे ने कहा कि एन.एम.ओ.पी.एस के नेतृत्व में 2017 से ‘हक्क-निजीकरण भारत छोड़ो’ आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप एनपीएस में संशोधन किया गया, लेकिन यूपीएस उससे भी ज्यादा खतरनाक है। शाह आलम, जिलाध्यक्ष पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ, ने कहा कि एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों की पेंशन मात्र 2-3 हजार रुपये बन रही है, जिससे न तो उनका इलाज हो पा रहा है और न ही सामाजिक सुरक्षा मिल रही है।
मार्च का समापन अम्बेडकर चौराहा पर हुआ, जहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा गया। इस आक्रोश मार्च में विभिन्न संगठनों और विभागों ने समर्थन किया, जिनमें पीडब्ल्यूडी वर्कचार्ज संघ, लेखपाल संघ, राजकीय शिक्षक संघ, टीचर्स सेल्फकेयर टीम, और डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। सभी संगठनों की एक ही मांग थी – पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली।
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