सीरिया: सीरिया में विद्रोहियों द्वारा राजधानी दमिश्क पर कब्जा किए जाने के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद का तख्ता पलट हो गया है। विद्रोही गुटों ने देश के पाँच बड़े शहरों पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। इसी बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि बशर अल-असद का विमान, जिसमें वह सवार थे, लापता बताया जा रहा है। खबरों के अनुसार, दमिश्क से भागने की कोशिश के दौरान उनके विमान को विद्रोहियों ने मार गिराया।
दमिश्क पर कब्जे के बाद अब सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता खत्म हो गई है। विद्रोही गुटों ने बीते एक सप्ताह में राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों - अलेप्पो, हमामा, होम्स, और दारा - पर कब्जा जमा लिया है। दमिश्क के पतन के साथ ही आदरा सेंट्रल जेल में भी भारी गोलीबारी की खबरें सामने आई हैं। विद्रोहियों ने जेल ब्रेक कर अपने साथियों को रिहा कराया और जेल में भारी तोड़फोड़ की।
सीरियाई सेना से मुठभेड़ के बाद विद्रोहियों ने होम्स पर भी कब्जा कर लिया। अलेप्पो, हमामा, और होम्स जैसे बड़े शहर अब विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नियंत्रण में हैं। विद्रोही समर्थकों ने बशर अल-असद की सत्ता गिरने का जश्न मनाया और सेना के टैंकों पर चढ़कर सेलिब्रेट किया।
सीरिया में यह घटनाक्रम करीब 13 साल पहले लिखी गई स्क्रिप्ट का नतीजा है। 2011 में शुरू हुई अरब क्रांति के दौरान बशर अल-असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र होम्स शहर ही बना था। अब, विद्रोहियों से बचने की कोशिश में सीरियाई सेना के करीब 2,000 सैनिक सीमावर्ती शहर अल-कम के रास्ते इराक भाग गए हैं। इराक की शरण में गए इन सैनिकों के बारे में अल-कम के मेयर ने जानकारी दी।
विद्रोहियों ने शहरों पर कब्जा करने के बाद हमामा मिलिट्री एयर बेस पर भी कब्जा कर लिया है। मिलिट्री एयरपोर्ट पर कब्जे के बाद विद्रोहियों ने मिसाइल और लड़ाकू विमानों को अपने नियंत्रण में ले लिया। एयरबेस पर बशर अल-असद की एक फटी हुई तस्वीर भी मिली है। तहरीर अल-शाम ने दावा किया कि हमामा एयरबेस से असद की सेना इदलिब और आसपास के इलाकों में बमबारी कर रही थी।
न केवल दमिश्क बल्कि उत्तर में अलेप्पो, केंद्र में हमामा, पूर्व में देर अल-जोर, और दक्षिण में कुनीदेरा व सुवेदा जैसे क्षेत्रों पर भी विद्रोहियों का नियंत्रण हो गया है। राजधानी में विद्रोहियों ने बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद की मूर्ति गिरा दी और "बशर अल-असद मुर्दाबाद" के नारे लगाए।
1971 से 2000 तक हाफिज अल-असद ने सीरिया पर शासन किया। इसके बाद, बशर अल-असद ने सत्ता संभाली। करीब 50 साल तक असद परिवार ने सीरिया पर शासन किया, लेकिन अब उनकी सत्ता समाप्त हो चुकी है। बशर अल-असद का प्लेन लापता बताया जा रहा है। विद्रोहियों ने उनकी जानकारी देने वाले को 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि असद को बचाने में रूसी राष्ट्रपति पुतिन की कोई दिलचस्पी नहीं है। ट्रंप ने ट्वीट करते हुए दावा किया कि असद ने अपना देश छोड़ दिया है। हालांकि, रूस ने इन आरोपों को खारिज किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि मॉस्को विद्रोहियों और हयात तहरीर अल-शाम के हर संभव विरोध में खड़ा रहेगा।
फिलहाल, राष्ट्रपति बशर अल-असद और सीरिया के रक्षा मंत्री का कोई अता-पता नहीं है। माना जा रहा है कि दोनों देश छोड़ चुके हैं। बशर का परिवार पहले से ही रूस में शरण लिए हुए है।
मिडल ईस्ट में स्थित एक महत्त्वपूर्ण देश सीरिया में रातों-रात तख्ता पलट हो गया है। सीरिया में ठीक उसी तरह तख्ता पलट हुआ है, जैसा कुछ महीनों पहले बांग्लादेश में हुआ था। आतंकी और विद्रोही गुटों ने सीरिया के अलेप्पो, हमामा, और होम्स शहर पर कब्जा करने के बाद राजधानी दमिश्क में प्रवेश कर लिया है।
भारत और रूस ने अपने नागरिकों को तुरंत सीरिया छोड़ने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और रूस पर हमला करने के लिए अमेरिका की "डीप स्टेट" ने सीरिया और बांग्लादेश को चुन लिया है। आने वाले दिनों में सीरिया और बांग्लादेश दोनों बड़े नासूर बन सकते हैं। ये दोनों देश भारत और रूस के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। कुछ महीनों पहले बांग्लादेश में शेख हसीना के साथ भी ऐसा ही हुआ था। बशर अल-असद को रूस का करीबी माना जाता है, जबकि शेख हसीना भारत की मित्र थीं। अचानक दोनों का तख्ता पलट कर दिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी "डीप स्टेट" और बाइडेन प्रशासन ने जाते-जाते भारत और रूस को बड़े संकट में डालने की साजिश रची है। सीरिया में अमेरिकी समर्थित विद्रोही कई शहरों पर कब्जा कर चुके हैं। बशर अल-असद का परिवार पहले ही रूस भाग चुका है और अब राष्ट्रपति भी गायब हैं।
रूस के लिए सीरिया एक बेहद अहम देश है, क्योंकि यह एक रणनीतिक स्थान पर स्थित है। सीरिया में रूस के दो बड़े मिलिट्री बेस हैं, जो रूस को मेडिटरेनियन सी, अफ्रीका, और मिडल ईस्ट में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद करते हैं। पहले इस क्षेत्र पर अमेरिका का प्रभाव था, लेकिन बशर अल-असद के सत्ता में आने के बाद से यहां रूस मजबूत हुआ और अमेरिका कमजोर पड़ गया।
अब सीरिया में अचानक से आतंकियों और विद्रोही संगठनों का कब्जा हो गया है, जिससे यह पूरा क्षेत्र अशांति और हिंसा का केंद्र बन गया है।
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को हटाकर अमेरिकी "डीप स्टेट" ने कट्टरपंथी विद्रोही संगठनों और तानाशाह मोहम्मद यूनुस को सत्ता में लाने की कोशिश की है। बांग्लादेश, पाकिस्तान के साथ मिलकर सीमा पर हथियार इकट्ठा कर रहा है। कट्टरपंथी गुट भारत पर हमला करने की धमकियां दे रहे हैं और दिल्ली में इस्लामिक झंडा फहराने की बात कर रहे हैं।
सीरिया के विद्रोही रूस को धमकी दे रहे हैं, तो वहीं बांग्लादेश के विद्रोही भारत के लिए संकट पैदा कर रहे हैं। बाइडेन प्रशासन जाते-जाते दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है।
रूस पहले ही यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। इज़राइल-हमास संघर्ष ने भी वैश्विक स्थिति को और खराब कर दिया है। अब सीरिया और बांग्लादेश में फैली अशांति ने भारत और रूस के लिए नए संकट पैदा कर दिए हैं।
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