इस्राइल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष के दौरान एक बड़ी खबर सामने आई है कि हिजबुल्लाह के प्रमुख, हसन नसरल्लाह, मारे गए हैं। इस्राइली सेना (आईडीएफ) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि "हसन नसरल्लाह अब दुनिया को आतंकित नहीं कर पाएगा।" शुक्रवार को लेबनान की राजधानी बेरूत में इस्राइली हवाई हमले के बाद यह खबर तेजी से फैलने लगी थी। आईडीएफ के हमले का निशाना हिजबुल्लाह का मुख्यालय था, जो एक रिहायशी इलाके के नीचे स्थित था। इसके बाद से हसन नसरल्लाह के मारे जाने की अटकलें तेज हो गई थीं। हमले के तुरंत बाद इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपना अमेरिका दौरा बीच में छोड़कर इस्राइल वापस लौट गए, जिससे अटकलों को और बल मिला। अब इस्राइली सेना ने आधिकारिक बयान में पुष्टि कर दी है कि नसरल्लाह और हिजबुल्लाह के कई शीर्ष कमांडर इस हमले में मारे गए हैं। हालांकि, हिजबुल्लाह ने भी बाद में अपने नेता की मौत की पुष्टि की है। इस हमले में हिजबुल्लाह के दक्षिणी मोर्चे के प्रमुख अली काराकी और अन्य प्रमुख कमांडर्स भी मारे गए हैं। आईडीएफ ने बताया कि हमला उस समय हुआ जब नसरल्लाह और उसके साथी इस्राइल पर हमले की योजना बना रहे थे। इससे पहले भी हिजबुल्लाह के मिसाइल यूनिट के प्रमुख मोहम्मद अली इस्माइल और उसके डिप्टी हुसैन अहमद इस्माइल भी मारे गए थे। इसके अलावा, हिजबुल्लाह की मिसाइल और रॉकेट फोर्स के प्रमुख मोहम्मद कबीसी भी हाल के हमलों में मारे गए थे।
हिजबुल्लाह की तरफ से नसरल्लाह की मौत की पुष्टि के बाद दुनिया भर में शिया समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। लखनऊ में भी इस खबर के फैलते ही शिया समुदाय के हजारों लोग आधी रात को सड़कों पर उतर आए और मातम मनाया। शिया धर्मगुरुओं ने नसरल्लाह की मौत पर तीन दिन के शोक की घोषणा की है। पुराने लखनऊ के इलाकों में बड़ी संख्या में लोग हाथों में काले झंडे लेकर नसरल्लाह को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए। इस घटना के बाद प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं और पुलिस बल को तैनात कर दिया है ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
हसन नसरल्लाह, जो 1982 में इस्राइली आक्रमण के बाद हिजबुल्लाह की स्थापना के समय से ही संगठन के साथ जुड़े हुए थे, 1992 में इसके प्रमुख बने थे। उनके नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य ताकत को काफी मजबूत किया और ईरान के साथ गहरे संबंध बनाए रखे। नसरल्लाह की मौत हिजबुल्लाह के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है, क्योंकि उनके नेतृत्व में संगठन ने अपनी ताकत और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव में वृद्धि की थी।
लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह की मौत की खबर के बाद लखनऊ के शिया समुदाय में गहरा शोक छा गया। जैसे ही यह खबर फैली, रात के वक्त शहर की सड़कों पर हजारों लोग जमा हो गए। लगभग दस हजार से अधिक लोग मातम मनाने के लिए एकत्रित हुए, जिसमें शिया धर्मगुरुओं द्वारा नसरल्लाह की मृत्यु पर तीन दिन के शोक की घोषणा की गई।
लखनऊ के पुराने शहर में रात के अंधेरे में निकाले गए मातमी जुलूस में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। हाथों में काले झंडे और बैनर लिए लोगों ने हसन नसरल्लाह को श्रद्धांजलि अर्पित की और धार्मिक नारों के साथ शांति की अपील की। इस शोक के दौरान लोगों में गहरा दुख और भावनात्मक माहौल देखने को मिला।
बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। इलाके में पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है।
हिजबुल्लाह संगठन ने शनिवार को अपने नेता सैयद हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की, जो इजरायली हमले में मारे गए थे। इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने दावा किया था कि उन्होंने शुक्रवार की रात बेरूत के दक्षिणी उपनगर दहिह में हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हमला कर नसरल्लाह को मार गिराया।
सैयद हसन नसरल्लाह, जो 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के समय हिजबुल्लाह संगठन के साथ जुड़े थे, 1992 से संगठन के महासचिव और शूरा परिषद के प्रमुख थे। उनके नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया और ईरान के साथ अपने संबंधों को और गहरा किया। उनकी मृत्यु हिजबुल्लाह के लिए एक बहुत बड़ी क्षति मानी जा रही है, क्योंकि वह संगठन के हर महत्वपूर्ण फैसले के केंद्र में थे।
नसरल्लाह की मौत से न सिर्फ लेबनान बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में गहरा शोक है, और लखनऊ में इस घटना का असर इसका एक बड़ा उदाहरण है।
© Copyright 2025 by शिवंलेख - Design & Developed By Codes Acharya