This website uses cookies to ensure you get the best experience.

Jan 10 2025 

ईरान में मोसाद के एजेंटों की घुसपैठ: नसरल्लाह की मौत से बढ़ी चिंताएं

ईरान में मोसाद के एजेंटों की घुसपैठ: नसरल्लाह की मौत से बढ़ी चिंताएं

अंतरराष्ट्रीय

  •  06 Oct 2024
  •  15
  •  13 Min Read
  •  6

ईरान में कई वरिष्ठ सरकारी पदों पर मोसाद के एजेंट होने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे पूरा देश खौफ में है। नसरल्लाह की मौत के बाद से ही ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई किसी पर भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। यह स्थिति आपको सलमान खान की सुपरहिट फिल्म "वांटेड" की याद दिला सकती है, जहां सलमान खान ने राधे बनकर अंडरवर्ल्ड डॉन गनी भाई की गैंग में एंट्री ली थी। गनी भाई के लिए राधे दुश्मनों को ठिकाने लगाता है, लेकिन फिल्म के अंत में खुलासा होता है कि राधे असल में एक पुलिस ऑफिसर है, जो अपराधियों का सफाया कर रहा है। इसी तरह, ईरान को अब अपनी सुरक्षा सेवाओं पर भरोसा नहीं रहा है।

गाजा पर इजरायली हमलों के बाद अब इजरायल का फोकस लेबनान पर है। 2006 के बाद से पहली बार इजरायल ने लेबनान में ग्राउंड ऑपरेशन शुरू किया है। इजरायली सेना ने सीमित ऑपरेशन के तहत लेबनान में प्रवेश कर लिया है। नसरल्लाह, जो पिछले डेढ़ दशक से एक बंकर में छिपा हुआ था, अब इजरायली सेना की पहुंच में आ गया है, जिससे सभी लोग हैरान और परेशान हैं। ईरान को यह शक हो रहा है कि हिजबुल्लाह में मोसाद के कई एजेंट मौजूद हैं।

लेबनानी आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की 27 सितंबर को इजरायली हवाई हमलों में मौत हो गई। 29 सितंबर को उनका शव बेरूत में उनके बंकर से बरामद किया गया, जो हवाई हमलों में नष्ट हो गया था। इस हमले की मंजूरी इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दी थी, जब वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भाग ले रहे थे। हिजबुल्लाह ने नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि वह मारा कैसे गया। कहा जा रहा है कि नसरल्लाह और हिजबुल्लाह के अन्य नेता एक भूमिगत बंकर में बैठक कर रहे थे, तभी इजरायल ने हमला किया। नसरल्लाह की मौत ने ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद द्वारा लगाए गए आरोपों पर बहस को फिर से जीवित कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोसाद ने ईरानी खुफिया तंत्र में गहरी पैठ बनाई है।

2021 में एक इंटरव्यू में अहमदीनेजाद ने दावा किया था कि ईरानी खुफिया एजेंसी के एक प्रमुख व्यक्ति, जो इजरायली जासूसी प्रयासों को विफल करने के लिए काम कर रहा था, असल में एक इजरायली एजेंट था। अहमदीनेजाद ने यह भी कहा था कि उस व्यक्ति के साथ 20 अन्य खुफिया संचालक भी मोसाद के एजेंट थे। इन खुलासों से ईरान की खुफिया कमजोरियां उजागर हुई हैं और इसकी सुरक्षा सेवाओं की क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।

2018 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुलासा किया था कि उनके एजेंटों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज चोरी किए थे। उन्होंने इन दस्तावेजों को सार्वजनिक रूप से दिखाया था और आरोप लगाया था कि ये ईरान के गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम का प्रमाण हैं। इन दस्तावेजों को तेहरान के एक गोदाम से 6 घंटे के ऑपरेशन में निकाला गया था, जिसमें 100,000 से अधिक वर्गीकृत कागजात इजरायली एजेंटों के हाथ लगे थे।

मोसाद की घुसपैठ ने न केवल ईरान की आंतरिक सुरक्षा कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि लेबनान में हिजबुल्लाह के नेटवर्क की कमजोरियों को भी उजागर किया है। नसरल्लाह की मौत और हिजबुल्लाह के खिलाफ चलाए गए अन्य अभियानों ने मोसाद की क्षमता को साबित किया है कि वह इजरायल की सीमाओं से परे भी असरदार तरीके से काम कर सकता है। मोसाद की पहुंच पूरे क्षेत्र में है, खासकर ईरान और लेबनान में।

ईरान के खुफिया तंत्र पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ईरान के भीतर इजरायली एजेंटों की जांच शुरू हो गई है। ईरान को शक है कि रिवोल्यूशनरी गार्ड के कुछ अधिकारी, जो हाल ही में लेबनान की यात्रा पर थे, उन्होंने नसरल्लाह के ठिकाने के बारे में जानकारी लीक की है। ईरान ने उन अधिकारियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसका पूरा परिवार ईरान से भागने में सफल रहा।

हसन नसरल्लाह, जो ईरान की एक बड़ी ताकत थे, इजरायली सेना के बेरूत हमले में मारे गए। 7 अक्तूबर को जब इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमास को समाप्त करने के लिए हमला किया, उसी समय से हिजबुल्लाह इजरायल पर हमले कर रहा था। इन छोटे-छोटे हमलों का नतीजा यह निकला कि हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा नेता खत्म हो गया और उसकी शीर्ष लीडरशिप का भी लगभग सफाया हो गया।

नसरल्लाह की मौत के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने कसम खाई कि नसरल्लाह की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। उपराष्ट्रपति रजा अरेफ ने भी कहा कि उनकी मौत इजरायल के लिए विनाश लेकर आएगी। समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट में कार्नेगी एंडोमेंट के करीम सज्जादपुर ने कहा कि नसरल्लाह ने ईरान के प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह ईरान के लिए एक कीमती रत्न था, जो अरब क्षेत्र और इस्लामिक देशों में उसके प्रभाव को बढ़ाने में मदद करता था।

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के अली वेज के अनुसार, नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान सीधे तौर पर इस संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहेगा, लेकिन इस घटना ने ईरान के सामने एक गंभीर दुविधा खड़ी कर दी है। इजरायल लगातार ईरान के प्रभाव को चुनौती दे रहा है। पिछले कुछ महीनों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने इस्लामिक दुनिया में ईरान के प्रभुत्व को बड़ा झटका दिया है।

तेहरान स्थित इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर मेहंदी जकेरियन ने एएफपी से बात करते हुए कहा कि यह घटनाक्रम दिखाता है कि ईरान और उसके सहयोगी इजरायल को रोकने में सक्षम नहीं रहे। दो महीने पहले, हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह की मौत ने ईरान की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी थी। उस समय भी ईरान ने इजरायल के खिलाफ बदला लेने की कसम खाई थी, लेकिन अब तक कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया। नसरल्लाह की मौत ईरान के लिए एक बड़ा झटका है।

जकेरियन के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के बीच, तेहरान के लिए इजरायल से निपटना और हिजबुल्लाह को फिर से स्थापित करना आसान नहीं होगा। यदि ईरान सरकार लेबनान के पुनर्निर्माण या हिजबुल्लाह को फिर से सुसज्जित करने की कोशिश करती है, तो इससे ईरान के आर्थिक संकट में इजाफा होगा।

विश्लेषकों का कहना है कि गाजा संघर्ष शुरू होने के बाद से ईरान बेहद सतर्कता से कदम बढ़ा रहा है और अमेरिकी प्रतिक्रिया को उकसाए बिना शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि अप्रैल में इजरायल पर अपने पहले सीधे हमले के दौरान भी ईरान ने सीमित हमले का फैसला किया, जिसे इजरायली रक्षा या सहयोगी बलों ने रोक दिया।
जकेरियन के अनुसार, ईरान हिजबुल्लाह को इस हालत में नहीं छोड़ सकता, क्योंकि इससे वह अपने अन्य सहयोगियों को भी खो देगा। इसलिए, ईरान को इस मामले में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। विश्लेषकों का कहना है कि ईरान को हिजबुल्लाह के साथ संचार और हथियारों के हस्तांतरण में भी दुविधा का सामना करना पड़ सकता है।

इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह को हथियारों की आपूर्ति करने से रोकने की कसम खाई है और कहा है कि उसके लड़ाकू विमान आसमान में गश्त कर रहे हैं। अगर ईरान की तरफ से कोई हथियार सामग्री लेबनान भेजने की कोशिश की गई, तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा।

इस्लामिक जगत में ईरान खुद को एक नेता के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए वह आतंकी संगठनों के साथ-साथ दुनिया भर के इस्लामिक देशों की मदद करने का प्रयास कर रहा है। इस दौड़ में उसकी सबसे बड़ी चुनौती तुर्की और सऊदी अरब के साथ है। हालिया घटनाओं ने ईरान के इस सपने पर प्रश्नचिन्ह लगाया है, और अब उसे अपने वर्चस्व को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

कृपया अपने विचार साझा करें :

Search News

Advertisements

Subscribe Newsletter

सभी नवीनतम सामग्री सीधे अपने इनबॉक्स पर प्राप्त करें