बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ विरोध और तेज हो गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भारत से अपील की है कि वह शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंप दे, ताकि उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सके। बीएनपी नेता का आरोप है कि हसीना ने बांग्लादेश में आंदोलन को दबाने की साजिश रची है, जिसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
डेली स्टार अखबार के अनुसार, मिर्जा फखरुल ने कहा कि बांग्लादेश की जनता ने हसीना के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला लिया है, और उन्हें न्याय का सामना करने देना चाहिए। बीएनपी के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष जिया-उर-रहमान की कब्र पर फूल चढ़ाने के बाद मिर्जा फखरुल ने संवाददाताओं से कहा कि भारत शेख हसीना को शरण देकर लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर खरा नहीं उतर रहा है। उनका आरोप है कि भारत में रहते हुए शेख हसीना ने बांग्लादेश में हुए आंदोलनों को विफल करने की साजिशें रची हैं।
फखरुल ने आरोप लगाया कि शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश पर 18 लाख करोड़ टका का कर्ज चढ़ गया है और देश के सौ अरब डॉलर की संपत्ति का हेरफेर किया गया है। इसके साथ ही, उनके शासनकाल में देश की सभी संस्थाओं को तबाह कर दिया गया।
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना और 23 अन्य लोगों के खिलाफ बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध प्राधिकरण में एक नया मामला दर्ज किया गया है। यह चौथा मामला है जो उनके खिलाफ दर्ज हुआ है। उन पर आरोप है कि उन्होंने 5 मई, 2013 को इस्लामी समूह की रैली में हुए जनसंहार के लिए साजिश रची थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील गाजी एमएच तामीम ने यह शिकायत दर्ज कराई है, और जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्र आंदोलन के दौरान 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया था। इसके बाद, सेना के दबाव में उन्होंने देश छोड़ दिया और अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण ली। वहीं, 79 वर्षीय बीएनपी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया, जो पिछले 17 सालों से शेख हसीना के शासनकाल में जेल में थीं, अब जेल से रिहा होकर अपना इलाज करवा रही हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया जा सकता है? विशेषज्ञों का मानना है कि भारत बांग्लादेश की इस मांग को ठुकरा सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी, लेकिन यह संधि राजनीतिक प्रकृति के मामलों पर लागू नहीं होती है। हालांकि, यह सब अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है। अगर बांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करता है, तो भारत के पास इसे ठुकराने के लिए ठोस कारण होंगे। भारत संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण के अनुरोध को अस्वीकार कर सकता है।
यह ध्यान देना जरूरी है कि इस संधि के तहत भारत और बांग्लादेश दोनों को उन भगोड़ों को एक-दूसरे के हवाले करना अनिवार्य है, जिन पर अदालतों में अपराध का मामला चल रहा हो। बीएनपी का दावा है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और जबरन वसूली के मामले इस प्रत्यर्पण संधि के तहत आते हैं।
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