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Jan 11 2025 

क्वाड शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने चीन पर साधा निशाना

क्वाड शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने चीन पर साधा निशाना

अंतरराष्ट्रीय

  •  23 Sep 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमेरिका में चल रहे क्वाड शिखर सम्मेलन की शुरुआत में चीन पर सीधे निशाना साधा। उन्होंने कहा कि क्वाड का उद्देश्य सक्रिय रहना है और यह किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं है। बिना नाम लिए, मोदी ने स्पष्ट किया कि क्वाड के नेता नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में विभिन्न संघर्ष चल रहे हैं और क्वाड शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में है। उनके शब्दों में, "क्वाड का साझा लोकतांत्रिक मूल्य पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं; हमारा लक्ष्य सभी के लिए नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना है।" इसके अलावा, उन्होंने कहा, "हमारा साझा लक्ष्य एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाना है। हमने स्वास्थ्य, सुरक्षा, नई तकनीक और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में कई सकारात्मक पहल की हैं।

शायद इसी कारण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को क्वाड देशों के नेताओं के साथ आपसी बातचीत में चीन की आलोचना करते हुए रिकॉर्ड किया गया है। बाइडेन को क्वाड देशों के नेताओं से यह कहते हुए रिकॉर्ड किया गया है कि चीन उनकी परीक्षा ले रहा है। बाइडेन की ये बात उभरते चीनी खतरे के प्रति अमेरिकी गंभीरता को दर्शाती है। बाइडेन की यह टिप्पणी शनिवार को क्वाड लीडर्स समिट के दौरान आई, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापानी प्रधानमंत्री फैमियो किशिदा ने भी हिस्सा लिया। शिखर सम्मेलन स्थल से पूल रिपोर्टर के बाहर निकलते समय उनकी शुरुआती टिप्पणी हॉट माइक पर कैद हो गई। बाइडेन को यह कहते हुए सुना गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मेरे विचार से, चीन के हितों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए अपने लिए कुछ कूटनीतिक स्पेस खरीदना चाहते हैं। चीन, आर्थिक और टेक्नोलॉजिकल मुद्दों सहित कई मोचों पर पूरे क्षेत्र में हम सभी की परीक्षा ले रहा है और आक्रामक व्यवहार कर रहा है। साथ ही उनका मानना है कि तीव्र प्रतिस्पर्धा के लिए गहन कूटनीति की आवश्यकता होती है। वहीं, बाद में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने इसे संभालने की कोशिश की और कहा, इस बाइडेन की इस फुसफुसाहट को कि मुझे नहीं लगता, कि इस पर विस्तार से बताने के लिए मेरे पास बहुत कुछ है। यह पहले जो कहा गया है, उसके मुताबिक ही है, और मुझे नहीं लगता कि यह बहुत आश्चर्य की बात होगी कि हमारी अंदरूनी आवाज हमारी बाहरी आवाज से मेल खाती है। मुझे लगता है कि यह एजेंडे में रहा होगा। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन इंडो-पैसिफिक सम्मेलन का हिस्सा है। यह एक इंडो-पैसिफिक साझेदारी है। चीन इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख देश है। लेकिन मुझे लगता है कि यह कहना भी उचित है कि एजेंडे में कई अन्य विषय भी थे। आपको बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रूनेई और ताइवान ने भी इस पर जवाबी दावे किए हैं। चार सदस्यीय क्वाड, जो एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बनाए रखने की वकालत करती है। चीन का दावा है कि इस समूह का मकसद उसके उदय को रोकना है। कुछ समय पूर्व चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जहां तक क्वाड का संबंध है, मुझे लगता है कि भारत इस तंत्र की मंशा को हमसे बेहतर जानता है। क्या इसका इरादा चीन के खिलाफ एक छोटे-से गुट को खड़ा करना नहीं है? कुछ ही दिन पहले ढाका में चीन के राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश को अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड गठबंधन में शामिल होने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा था कि बीजिंग विरोधी क्लब में ढाका की भागीदारी के वजह से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को काफी नुकसान होगा।

आपको बता दें कि आखिर क्या है क्वाड, जिसके कारण जिनपिंग की नींद उड़ी हुई है। क्वाड शब्द क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा वार्ता के क्वाड्रीलेटरल (चतुर्भुज) से लिया गया है। इस समूह में भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड जैसे समूह को बनाने की बात पहली बार 2004 की सुनामी के बाद हुई थी, जब भारत ने अपने और अन्य प्रभावित पड़ोसी देशों के लिए बचाव और राहत के प्रयास किए और इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हो गए थे। लेकिन इस आइडिया का श्रेय जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे को दिया जाता है। 2006 और 2007 के बीच आबे क्वाड की नींव रखने में कामयाब हुए और चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता की पहली अनौपचारिक बैठक वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर अगस्त 2007 में मनीला में आयोजित की गई। उसी साल क्वाड के चार देशों और सिंगापुर ने मालाबार के नाम से बंगाल की खाड़ी में एक नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया था। इस सब पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए क्वाड देशों से यह बताने को कहा था कि क्या क्वाड एक बीजिंग विरोधी गठबंधन है? क्वाड को एक झटका और लगा जब कुछ समय बाद ही ऑस्ट्रेलिया इससे अलग हो गया। दस साल बाद 2017 में मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान "भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-अमेरिका" संवाद के साथ क्वाड वापस अस्तित्व में आया। यह बैठक इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मनीला पहुँचने से कुछ घंटे पहले हुई। यह वार्ता इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थी कि उस समय भारत और चीन के बीच डोकलाम में गतिरोध चल रहा था। 2017 में गति मिलने के बाद क्वाड के विदेश मंत्री अक्टूबर 2020 में टोक्यो में मिले और कुछ ही महीनों बाद इस साल मार्च में जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के कुछ ही हफ्तों बाद अमेरिका ने क्वाड के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। चीन शुरू से ही क्वाड को चार विरोधी देशों का समूह मानता रहा है। उसे लगता है कि क्वाड के ये चार देश उसकी बढ़ती ताकत के खिलाफ गुटबंदी कर रहे हैं। क्वाड के देशों ने सैन्य क्षेत्र को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिए हैं, पर ये माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाना इन देशों की एक बड़ी प्राथमिकता है।

रक्षा विशेषज्ञ सी. उदय भास्कर, भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमोडोर हैं। वे आजकल दिल्ली स्थित सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के निदेशक हैं। उनके अनुसार, चीन क्वाड के रूप को लेकर काफी चिंतित है। वे कहते हैं कि पिछले साल चीन इसे नीचा दिखाने की कोशिश कर चुका है। उनके एक मंत्री ने कहा था कि क्वाड समुद्र के पानी पर झाग जैसा है, जो हवा से उड़ जायेगा। क्वाड चीन के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुत बड़ी चुनौती हो सकता है, इसीलिए क्वाड की क्षमता देखते हुए चीन बहुत चिंतित है। उनका यह भी कहना था कि समुद्री क्षेत्र में चीन अपना दबदबा दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में दिखाता रहा है। उनके अनुसार, इस दबदबे की वजह से जहां दक्षिण चीन सागर में आसियान के देश प्रभावित हुए हैं, वहीं पूर्वी सागर में जापान प्रभावित हुआ है। वे कहते हैं, दोनों क्षेत्रों में चीन एक चुपके-चुपके अपना दावा बढ़ाता दिख रहा है। दक्षिण चीन सागर में नाइन-डैश लाइन और कृत्रिम इंस्टालेशन बना दिए हैं और तरह-तरह के क्षेत्रीय दावे कर दिए हैं। यह सब देखते हुए जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने कहा है कि समुद्री क्षेत्र में एक नियम आधारित व्यवस्था होनी चाहिए।

पिछले साल नवंबर में भारतीय नौसेना ने बहुपक्षीय युद्धाभ्यास "मालाबार" का आयोजन हिंद महासागर में किया। इस अभ्यास में अमेरिकी नौसेना, जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी ने हिस्सा लिया। क्वाड देशों के इस युद्धाभ्यास को चीन के लिए एक संदेश की तरह देखा गया। कमोडोर भास्कर के अनुसार, समुद्री क्षेत्र के अलावा चीन के साथ साइबर और स्पेस के क्षेत्रों में भी नियम आधारित व्यवस्था बनाने की कोशिश होनी चाहिए। वे कहते हैं, चीन को नियम आधारित व्यवस्था में लाने के लिए लोकतांत्रिक देश अपना एक गुट बनाते हुए सिद्धांतों के लिए आगे बढ़ सकते हैं। उनका यह भी मानना है कि अगर यह चार देश मिलकर सहमति बना रहे

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