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अमेरिकी चुनाव की घड़ी नज़दीक: ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला, भारत पर भी पड़ेगा असर

अमेरिकी चुनाव की घड़ी नज़दीक: ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला, भारत पर भी पड़ेगा असर

अंतरराष्ट्रीय

  •  05 Nov 2024
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अमेरिका के सुपरपावर में मतदान की घड़ी करीब आ चुकी है। अब से महज कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी जनता अपने फैसले पर आखिरी मुहर लगा देगी। लेकिन इससे पहले रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच अंतिम और कड़े मुकाबले का दौर शुरू हो चुका है।

जिस तरह भारत में चुनाव से पहले सर्वे होता है, ठीक उसी तरह अमेरिका में भी चुनाव से पहले का सर्वे जारी हो चुका है। अब तक के सर्वे के मुताबिक इस मुकाबले में डोनाल्ड ट्रंप बढ़त बनाए हुए हैं, खासकर सभी सात स्विंग स्टेट्स में जहां से हार और जीत का फैसला होता है। सर्वे की मानें तो 49% मतदाता ट्रंप के पक्ष में हैं, जबकि कमला हैरिस के पक्ष में 47.2% मतदाता हैं। यानी ट्रंप 1.8% वोटों से आगे चल रहे हैं। इस महीने के शुरुआती दो दिनों में किए गए इस पोल में 2500 वोटर शामिल हुए थे, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।

एक और सर्वे के मुताबिक रिपब्लिकन उम्मीदवार को सभी स्विंग स्टेट्स में जीत हासिल होने की उम्मीद है। एरिज़ोना में ट्रंप सबसे ज्यादा अंतर से आगे चल रहे हैं। ट्रंप को इस सर्वे में 51.0% वोट मिले हैं, जबकि कमला हैरिस को 45.1%। नेवाडा में ट्रंप को 51.4% लोगों ने पसंद किया, जबकि कमला हैरिस को 45.9%। उत्तरी कैरोलिना में ट्रंप 50.4% वोटों से आगे हैं, जबकि हैरिस को 46.8% वोट मिले हैं।

अब आपको बताते हैं कि अमेरिका में स्विंग स्टेट्स किन्हें कहते हैं और इनसे हार-जीत का फैसला कैसे होता है। अमेरिकी चुनाव में राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: रेड स्टेट्स, ब्लू स्टेट्स और स्विंग स्टेट्स। रेड स्टेट्स वे हैं, जहां साल 1980 से रिपब्लिकन लगातार जीतते आ रहे हैं, जबकि ब्लू स्टेट्स वे हैं, जहां 1992 से डेमोक्रेट्स जीतते आ रहे हैं। इन राज्यों के नतीजों में कोई खास बदलाव नहीं होता, लेकिन स्विंग स्टेट्स के नतीजे चुनाव की तस्वीर बदल देते हैं। इन सात राज्यों में 93 सीटें हैं जिनमें जॉर्जिया की 16 सीटें, मिशिगन की 15 सीटें, नेवाडा की 6 सीटें, उत्तरी कैरोलिना की 16 सीटें, पेंसिल्वेनिया की 19 सीटें और विस्कॉन्सिन की 10 सीटें शामिल हैं।

स्विंग स्टेट्स के सर्वे के मुताबिक दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है। ट्रंप मामूली वोटों से आगे हैं, जबकि कुछ स्टेट्स में कमला हैरिस ने ट्रंप को भी पार कर लिया है। यानी मुकाबला कांटे का है। अमेरिका के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है और भारत भी इस चुनाव पर करीब से नजर रख रहा है। अब चलिए बताते हैं कि आखिर यह चुनाव भारत के लिहाज से अहम क्यों है और इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही, किसकी जीत पर भारत का फायदा माना जा रहा है।

कमला हैरिस के जीतने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ब्याज दरों में कमी कर सकता है। अगर ट्रंप जीतते हैं, तो आरबीआई ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है। कमला हैरिस के जीतने से बीमा कंपनियों को फायदा हो सकता है, जबकि ट्रंप के जीतने से बीमा कंपनियों को कठिनाई हो सकती है। कमला हैरिस की जीत से आईटी सेक्टर को कोई खास लाभ नहीं होगा, जबकि ट्रंप के जीतने से आईटी सेक्टर को फायदा हो सकता है। कमला हैरिस की जीत से फार्मास्यूटिकल सेक्टर पर कोई असर नहीं होगा, जबकि ट्रंप की जीत से मेडिकल डील्स कम हो सकती हैं।

कमला हैरिस की जीत से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन ट्रंप की जीत से चाइनीज इंपोर्ट पर टैक्स बढ़ सकता है। वहीं हिंदू वोटर्स को लुभाने के लिए ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि बांग्लादेश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनका कार्यकाल होता तो यह हालात न होते। बाइडेन और कमला हैरिस ने हिंदुओं को नज़रअंदाज़ किया है। वे इजराइल से लेकर यूक्रेन तक और हमारे दक्षिणी बॉर्डर तक के लिए विनाशकारी हैं। ट्रंप ने कहा कि वे अमेरिका को फिर से मजबूत बनाकर ताकत के जरिए शांति वापस लाएंगे।

अमेरिकी चुनाव में प्रवासी भारतीय भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार श्री थानेदार ने कमला हैरिस की जीत को लेकर आश्वस्ति जताई है और उन्हें भारतीय वोटर्स की पसंदीदा कैंडिडेट बताया है। उन्होंने कहा कि "कमला हैरिस प्रोडेमोक्रेसी हैं, वे महिला अधिकारों का समर्थन करती हैं और छोटे व्यवसायों के लिए नए अवसर बनाना चाहती हैं।" दूसरी ओर, ट्रंप अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार पीएम मोदी को अच्छा दोस्त बताते रहे ताकि वे भारतीयों को लुभा सकें। हालांकि, ट्रंप व्यापार नीति को लेकर सख्त रुख अपनाते हैं, जो भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

आगे चल रहे हैं, इस सर्वे में ट्रंप को 51.0% वोट मिले हैं, जबकि कमला हैरिस को 45.1%। नेवादा में ट्रंप को 51.4% लोगों ने पसंद किया, जबकि कमला हैरिस को 45.9%। उत्तरी कैरोलिना में ट्रंप 50.4% वोटों से आगे हैं, जबकि हैरिस को 46.8% वोट मिले हैं।

अब आपको बताते हैं कि अमेरिका में 'सात स्विंग स्टेट' किसे कहते हैं और क्यों इन्हें हार-जीत का फैसला करने वाले राज्य माना जाता है। अमेरिकी चुनाव में राज्यों का काल्पनिक रूप से तीन प्रकार से बंटवारा किया गया है—रेड स्टेट्स, ब्लू स्टेट्स और स्विंग स्टेट्स। रेड स्टेट्स वे हैं, जहां 1980 से रिपब्लिकन पार्टी लगातार जीतती आ रही है, जबकि ब्लू स्टेट्स वे हैं, जहां 1992 से डेमोक्रेट्स जीतते आ रहे हैं। माना जाता है कि इन राज्यों में नतीजों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, लेकिन जहां के नतीजे चुनाव की तस्वीर बदल सकते हैं, उन्हें 'स्विंग स्टेट्स' कहा जाता है।

इन सात राज्यों में 93 सीटें हैं: जॉर्जिया की 16 सीटें, मिशिगन की 15 सीटें, नेवादा की 6 सीटें, उत्तरी कैरोलिना की 16 सीटें, पेंसिल्वेनिया की 19 सीटें और विस्कॉन्सिन की 10 सीटें। हालांकि स्विंग स्टेट्स के सर्वे के अनुसार दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है। ट्रंप मामूली वोटों से आगे हैं, जबकि कमला हैरिस कुछ राज्यों में ट्रंप को पीछे छोड़ रही हैं। यानी मुकाबला कांटे का है।

अमेरिका के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है, और भारत भी इस चुनाव पर करीब से नजर रख रहा है। आइए, बताते हैं कि आखिर ये चुनाव भारत के लिए क्यों अहम है और इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा, साथ ही किसकी जीत पर भारत को फायदा होने की उम्मीद है।

कमला हैरिस के जीतने से RBI ब्याज दरों में कमी कर सकता है, जबकि ट्रंप के जीतने से RBI ब्याज दरें ऊंची हो सकती हैं। हैरिस के जीतने से बीमा कंपनियों को लाभ होगा, जबकि ट्रंप के जीतने से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। IT सेक्टर को हैरिस की जीत से खास फायदा नहीं होगा, लेकिन ट्रंप की जीत से लाभ हो सकता है। हैरिस की जीत से फार्मास्यूटिकल सेक्टर पर ज्यादा असर नहीं होगा, जबकि ट्रंप की जीत से मेडिकल डील्स में कमी आ सकती है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर हैरिस की जीत का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि ट्रंप की जीत से चीनी इंपोर्ट पर टैक्स लग सकता है।

हिंदू वोटर्स को लुभाने के लिए ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर उनका कार्यकाल होता तो इस स्थिति को काबू में रखा जाता। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों उम्मीदवार एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करने से नहीं चूके। ट्रंप ने कमला हैरिस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अमेरिका को "बेकार इंसान" की ज़रूरत नहीं है, और उन्हें 'डिफेक्टिव पर्सन' तक कहा। वहीं, कमला हैरिस ने पलटवार करते हुए ट्रंप को "तानाशाही प्रवृत्ति वाला" और "मानसिक संतुलन खोता हुआ" शख्स करार दिया। हैरिस ने एक रैली में कहा कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने तो वह अपनों से ही बदला लेंगे।

इस बार अमेरिका में चुनाव प्रचार के दौरान भाषाई मर्यादाएं टूटती नजर आईं। ट्रंप ने अपने भाषणों में कमला हैरिस को निशाना बनाया, जबकि हैरिस ने भी ट्रंप को मानसिक रूप से अस्थिर और अनियंत्रित सत्ता का इच्छुक बताया। उन्होंने यहां तक कहा कि ट्रंप का संबंध सिर्फ नफरत और विभाजन से है और वह वाइट हाउस में "दुश्मनों की सूची" लेकर आएंगे।

अब इस चुनाव में कौन जीतेगा, इसका फैसला तो अमेरिकी वोटर ही करेंगे, लेकिन चुनाव प्रचार में जिस तरह की बयानबाजी हुई है, उसे अमेरिका की जनता लंबे समय तक याद रखेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्ति असाधारण मानी जाती है। वाइट हाउस दुनिया का सबसे पावरफुल सेंटर माना जाता है और अमेरिकी राष्ट्रपति सेना के सुप्रीम कमांडर होते हैं। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का हर निर्णय वैश्विक मुद्दों पर असर डालता है।

अब देखना होगा कि अमेरिकी जनता किसे चुनती है। यह चुनाव केवल अमेरिका नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है और इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा।

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