कुछ वर्षों पहले तक मंकीपॉक्स संक्रमण मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों में रिपोर्ट किया जाता था, लेकिन हाल के समय में इस संक्रामक रोग ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। अमेरिका, ब्रिटेन और एशियाई देशों सहित मंकीपॉक्स अब लगभग हर महाद्वीप में फैल चुका है। इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच गहरी चिंता है, क्योंकि यह वायरस गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं के साथ मृत्यु का भी कारण बन सकता है। मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप के चलते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को इस बीमारी को दो बार वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा है।
पिछले कुछ महीनों में मंकीपॉक्स, जिसे अब एमपॉक्स (Mpox) भी कहा जाता है, के मामले तेजी से बढ़ते देखे गए हैं। इस बीमारी के कारणों और इसके प्रसार को लेकर कई अध्ययनों में पता चला कि वायरस का एक नया स्ट्रेन 'क्लेड 1बी' इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। यह स्ट्रेन तेजी से संक्रामक है और इससे संक्रमित होने वाले लोगों में गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। इस खतरनाक स्ट्रेन के कारण WHO को 14 अगस्त 2024 को इसे एक बार फिर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा।
हाल ही में आई खबरों के अनुसार, मंकीपॉक्स का यही खतरनाक स्ट्रेन अब भारत में भी दस्तक दे चुका है। केरल के मलप्पुरम जिले में मंकीपॉक्स क्लेड 1बी का पहला मामला सामने आया है। इस व्यक्ति की पहचान एक 38 वर्षीय भारतीय नागरिक के रूप में हुई है जो संयुक्त अरब अमीरात से वापस आया था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह मामला दक्षिण एशिया में इस स्ट्रेन से जुड़ा पहला मामला है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रवक्ता मनीषा वर्मा ने इस मामले की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मलप्पुरम जिले में पाया गया व्यक्ति मंकीपॉक्स के क्लेड 1बी स्ट्रेन से संक्रमित है। इससे पहले भारत में जो मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे, वे क्लेड 2 स्ट्रेन से जुड़े थे। क्लेड 2 वह स्ट्रेन है जिसने 2022 और 2023 में वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के मामलों में वृद्धि की थी। हालांकि, क्लेड 2 की तुलना में क्लेड 1 और विशेष रूप से इसका सब-वेरिएंट 'क्लेड 1बी' अधिक घातक माना जाता है।
मंकीपॉक्स वायरस के विभिन्न स्ट्रेनों के बारे में जानकारी जुटाने पर पता चलता है कि इसके दो प्रमुख स्ट्रेन हैं - क्लेड 1 और क्लेड 2। इन दोनों स्ट्रेनों में कई अंतर हैं, जिनसे पता चलता है कि क्लेड 1 विशेष रूप से अधिक खतरनाक है।
क्लेड 1, विशेष रूप से क्लेड 1बी, मंकीपॉक्स वायरस का वह स्ट्रेन है जिसे सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। यह पहली बार डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में पाया गया था और फिर यह आसपास के देशों में फैलने लगा। क्लेड 1बी के संक्रमण के लक्षण अधिक गंभीर होते हैं और इसमें रोगियों को एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), निमोनिया और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, त्वचा पर बड़े और गहरे घाव बनना, छाले और अन्य जटिलताएं देखी जा सकती हैं।
क्लेड 1बी की संक्रामकता भी काफी अधिक है, जिसका मतलब है कि यह तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसके कारण मृत्यु दर भी काफी अधिक बताई जाती है। यही कारण है कि यह स्ट्रेन वैश्विक स्तर पर एक गंभीर खतरा बन चुका है।
क्लेड 2 मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देशों में पाया जाता है। यह स्ट्रेन संक्रामक तो है, लेकिन इसके लक्षण अपेक्षाकृत हल्के होते हैं। क्लेड 2 से संक्रमित रोगियों में त्वचा पर दाने, घाव और लिम्फ नोड्स में सूजन जैसी समस्याएं देखी जाती हैं। हालांकि, इस स्ट्रेन की मृत्यु दर और संक्रामकता काफी कम मानी जाती है। बावजूद इसके, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विभिन्न देशों के स्वास्थ्य अधिकारी इसे संभावित खतरे के रूप में देखते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं।
क्लेड 1बी स्ट्रेन की संक्रामकता इतनी अधिक है कि यह न सिर्फ अफ्रीकी देशों में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी तेजी से फैल गया है। अगस्त 2024 में पहली बार स्वीडन और थाईलैंड में क्लेड 1बी के मामलों की पुष्टि की गई थी, और अब भारत में भी इस स्ट्रेन के संक्रमण की पहचान की जा चुकी है। यह दर्शाता है कि यह वायरस अपनी गंभीरता और फैलने की क्षमता के कारण अब वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
भारत में क्लेड 1बी का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों और सरकार के लिए सतर्क रहना आवश्यक हो गया है। इस स्ट्रेन की गंभीरता को देखते हुए, देश में विशेष रूप से उन लोगों के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी जो हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना, संक्रमित लोगों की निगरानी करना और उन्हें समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
मंकीपॉक्स का क्लेड 1बी स्ट्रेन, जिसे सबसे अधिक खतरनाक माना जा रहा है, अब भारत में भी पहुंच चुका है। यह स्ट्रेन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है और तेजी से फैलने की इसकी क्षमता इसे और भी चिंताजनक बनाती है। भारत सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा ताकि इस घातक वायरस के प्रसार को रोका जा सके। WHO और अन्य स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, समय पर कदम उठाना अत्यावश्यक है ताकि इस वायरस के प्रकोप को सीमित किया जा सके।
© Copyright 2025 by शिवंलेख - Design & Developed By Codes Acharya