महाराष्ट्र: भाजपा नेता नारायण राणे ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा कि “अगर बाला साहब आज होते तो उद्धव ठाकरे को गोली मार देते।” यह बयान देते हुए राणे किसी घटना का संदर्भ दे रहे थे। उन्होंने कहा कि एक सोसायटी में हिंदुओं को दीवाली के दीपक जलाने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि उस सोसायटी में बकरीद मनाने की इजाजत नहीं मिली थी। नारायण राणे ने इस घटना को लेकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा और उनके खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया।
इस बयान के बाद आदित्य ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि "इस तरह की घटिया सोच नारायण राणे जैसे लोगों के दिमाग में ही आ सकती है। इससे उनकी मानसिकता का साफ पता चलता है।" आदित्य ठाकरे के इस बयान के बाद राजनीति और गरमा गई है। महाराष्ट्र में नारायण राणे के बयान को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और यह मामला अब राजनीतिक घमासान का रूप ले चुका है।
इसके साथ ही महाराष्ट्र में 'वोट जिहाद' का विवाद भी उभर कर सामने आया है। भाजपा का आरोप है कि महाविकास आघाड़ी (एमवीए) मुसलमानों से अपने पक्ष में वोट करने के लिए फतवे जारी करवा रही है। भाजपा नेता नितेश राणे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें एक मस्जिद के अंदर एमवीए नेताओं को मौलवियों के साथ बैठक करते दिखाया गया है। वीडियो में मौलवियों को मुसलमानों से एमवीए को वोट देने की अपील करते हुए दिखाया गया है।
नितेश राणे के अनुसार, "एमवीए मुसलमानों को एकजुट होकर अपने पक्ष में वोट करने के लिए कह रही है, जबकि हिंदुओं के एकजुट होने की अपील को सांप्रदायिक बताया जाता है।" भाजपा ने इसे 'वोट जिहाद' नाम दिया है और नितेश राणे का कहना है कि एमवीए हिंदू वोटों पर ध्यान नहीं दे रही है। इसके बजाय, वह मुसलमानों में फतवे जारी करवा रही है ताकि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर महाविकास आघाड़ी को वोट करें।
उद्धव ठाकरे के गुट ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि किसी भी मतदाता से वोट की अपील करना अनुचित नहीं है। एमवीए नेताओं ने इस बात को स्पष्ट किया कि वे अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं, इसमें कोई सांप्रदायिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी मतदाता इंसान हैं और अपनी पसंद से वोट करने का अधिकार रखते हैं। उद्धव गुट के नेताओं का कहना है कि यह प्यार और मोहब्बत की बात है और नफरत की नहीं।
इस विवाद को लेकर किरीट सोमैया ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में 400 एनजीओ मुसलमानों को महाविकास आघाड़ी के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और भाजपा के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं। सोमैया ने कहा कि यह अभियान सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है और इसे रोका जाना चाहिए।
इस घटना ने महाराष्ट्र में धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा एक बार फिर से ताजा कर दिया है। इस विवाद से आने वाले चुनाव में एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है। भाजपा और एमवीए के बीच राजनीतिक खींचतान अब गहरी हो चुकी है। भाजपा का कहना है कि इस तरह का वोट जिहाद हिंदुस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग की भाषा की तरह है, जो देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है। भाजपा नेताओं का मानना है कि मुसलमानों को भड़काना सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न कर सकता है।
महाविकास आघाड़ी की ओर से मुस्लिम सेवा संघ के बैनर तले करीब 100 एनजीओ ने मुस्लिम मतदाताओं को अपने मत का सही जगह प्रयोग करने के लिए कहा है। बैनर पर लिखा गया है कि सही जगह महाविकास आघाड़ी है और वहां मुसलमानों को वोट देना चाहिए। इसके साथ ही एक लिस्ट भी दी गई है, जिसमें कुछ सवाल किए गए हैं, जैसे- क्या मुसलमान समान नागरिक संहिता थोपने वालों को वोट करेंगे? क्या वे सीएए और एनआरसी लागू करने वालों को वोट देंगे?
इस पूरे विवाद को भाजपा नेता किरीट सोमैया ने चुनाव आयोग में शिकायत के तौर पर पेश किया है। भाजपा का आरोप है कि महाविकास आघाड़ी सांप्रदायिक नफरत फैला रही है और मुसलमानों को अपने पक्ष में वोट करने के लिए उकसा रही है। भाजपा के अनुसार, इस तरह का अभियान 1947 से पहले की मुस्लिम लीग की भाषा की तरह है और इस तरह का जिहाद भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां धर्म और राजनीति की सीमाएं धुंधली होती नजर आ रही हैं। अब देखने की बात यह है कि चुनाव आयोग इस पर क्या कदम उठाता है और आने वाले चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है।
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