दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक बड़ा आरोप लगाते हुए, उपराज्यपाल (एलजी) सचिवालय ने दस्तावेज जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली में नौ मंदिरों को तोड़ने की सिफारिश को मंजूरी दी थी। यह जानकारी 8 फरवरी 2023 की तारीख वाले दस्तावेजों के जरिए सामने आई है।
एलजी सचिवालय के अनुसार, जिन नौ मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी दी गई, उनमें सात मंदिर करावल नगर और दो मंदिर न्यू उस्मानपुर इलाके में स्थित थे। एलजी कार्यालय ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार की धार्मिक कमेटी की सिफारिशों पर अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर किए थे, और इसके आधार पर यह कार्रवाई की गई।
कुछ दिन पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री (कार्यवाहक) आतिशी ने आरोप लगाया था कि धार्मिक कमेटी ने दिल्ली में मंदिर तोड़ने का आदेश दिया और यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को बाईपास करते हुए सीधे उपराज्यपाल को भेजी गई। हालांकि, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इन आरोपों का खंडन करते हुए किसी भी मंदिर तोड़ने के आदेश देने से इनकार किया था।
एलजी कार्यालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, 2016 से 2023 के बीच दिल्ली में कुल 24 धार्मिक ढांचे तोड़े गए। इनमें 22 मंदिर, एक दरगाह और एक अन्य धार्मिक स्थल शामिल था।
इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री सत्येंद्र जैन पर भी आरोप लगाए गए हैं। एलजी सचिवालय ने कहा कि सत्येंद्र जैन ने 2017 में आठ मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी दी थी, जो तेजी से तोड़ दिए गए। हालांकि, जैन ने दो मजारों को तोड़ने की सिफारिश खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
धार्मिक कमेटी का कहना था कि ये ढांचे उपयोग में नहीं थे और यहां नियमित रूप से लोग नहीं आते थे। उदाहरण के तौर पर, फिल्मिस्तान सिनेमा से डीसीएम चौक तक ग्रेड सेपरेटर बनाने के लिए दो मजारों को हटाना आवश्यक बताया गया था, क्योंकि वहां हर हफ्ते केवल 5 से 10 लोग ही आते थे।
इस पूरे मामले ने दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मचा दी है। केजरीवाल और उनकी सरकार के ऊपर उठ रहे इन सवालों के बीच अब उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।
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