संसद : 19 दिसंबर को संसद परिसर में जो कुछ हुआ, उसने पूरे देश का ध्यान खींचा। घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया। मकर द्वार के पास कथित धक्का-मुक्की में बीजेपी के दो सांसद, प्रताप सार और मुकेश राजपूत, घायल हो गए। उन्हें दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालांकि राहत की बात यह है कि दोनों सांसदों को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
इस घटना को लेकर अभी तक कोई ठोस सच्चाई सामने नहीं आई है, लेकिन दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। वहीं, कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई धक्का-मुक्की को लेकर बीजेपी पर पलटवार किया है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने घटना के दिन ही सवाल उठाए थे कि संसद भवन में डंडे कैसे पहुंचे। उन्होंने इस पर गहन जांच और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस ने घटना का एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें कथित तौर पर बीजेपी सांसदों को हाथों में डंडे लगे प्लेकार्ड के साथ विपक्षी सांसदों को रोकते हुए दिखाया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी और अन्य महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के मंदिर में "तानाशाही और गुंडई" करार दिया है।
इन आरोपों के बीच संसद की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सीआईएसएफ (CISF) के वरिष्ठ अधिकारी सामने आए। सीआईएसएफ के डीआईजी श्रीकांत किशोर ने स्पष्ट किया कि मकर द्वार पर जो कुछ हुआ, वह सुरक्षा में चूक का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी को भी हथियार लेकर आने की अनुमति नहीं दी गई थी। उन्होंने बताया कि संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मा मई 2023 में सीआईएसएफ को सौंपा गया था, जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 1400 कर्मचारियों की जगह सीआईएसएफ के 3317 जवानों ने कार्यभार संभाला था।
सीआईएसएफ के अधिकारी ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच सुरक्षा एजेंसी को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का अधिकार नहीं है। यह मामला संसद के सदस्यों और उनकी आपसी समझ पर निर्भर है।
पिछले साल 13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा चूक के कारण सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव किया गया था। लेकिन 19 दिसंबर की घटना ने एक बार फिर सुरक्षा के मुद्दे को चर्चा में ला दिया है। फिलहाल, इस मामले में सच्चाई क्या है, यह जांच और आगे की प्रक्रिया से ही स्पष्ट हो पाएगा।
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