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जम्मू और कश्मीर असेंबली में आर्टिकल 370 पर हंगामा क्यों हुआ?

जम्मू और कश्मीर असेंबली में आर्टिकल 370 पर हंगामा क्यों हुआ?

राजनीति

  •  07 Nov 2024
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जम्मू कश्मीर : आज जम्मू कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 को लेकर एक बार फिर जबरदस्त हंगामा हुआ असल में आज एनसीपी के नेता और जम्मू कश्मीर के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुरेंद्र चौधरी ने विधानसभा में आर्टिकल 370 को बहाल करने और जम्मू कश्मीर को एक बार फिर स्पेशल स्टेटस देने को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया बीजेपी के विधायकों ने इसका पुरजोर विरोध किया प्रस्ताव की फड़क फेंक दी बीजेपी के एमएलए वेल में पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे बीजेपी के विधायक और सदन में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा आज जो प्रस्ताव लाया गया वह बिजनेस लिस्ट का हिस्सा नहीं था इसलिए व उसे रिजेक्ट करते हैं ।

बीजेपी ने स्पीकर अब्दुल रहीम राघव पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेंबर के साथ मिलीभगत का इल्जाम लगाया स्पीकर ने नाराजगी जताई और सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया लेकिन जब सदन की कारवाई फिर से शुरू हुई तो बीजेपी ने फिर हंगामा किया और स्पीकर गो बैक के नारे लगाए हालांकि इस हंगामे के बीच स्पीकर एनसीपी के इस प्रस्ताव को पास करने में सफल हुए हंगामे के बीच एनसीपी और बीजेपी विधायकों के बीच हाथ पाई की नौबत आ गई तो स्पीकर ने सदन की कारवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दिया ।

जम्मू कश्मीर असेंबली में आर्टिकल 370 को बाहर करने का प्रस्ताव तो आना ही था पीडीपी ने पहले दिन यह प्रस्ताव लाकर उमर अब्दुल्ला को इस बात के लिए फोर्स कर दिया कि व उसमें देर ना करें लेकिन संवैधानिक तौर पर देखें तो इस प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला देश की पार्लिमेंट का है जम्मू कश्मीर की असेंबली इस पर क्या प्रस्ताव पास करती है उसका कोई संवैधानिक औचित्य नहीं है क्योंकि उमर अब्दुल्ला ने इलेक्शन के दौरान वादा किया था इसलिए यह उनकी मजबूरी है वरना वह भी जानते हैं ऐसे प्रस्ताव पास करने से कुछ होने वाला नहीं है ।

इसकी शुरुआत लैंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख से हुई जो पोस्टर लहराकर अनुच्छेद 370 की बहाली और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे थे बीजेपी ने उनका विरोध किया तो बवाल में बच गया इस धक्का मुखी के बीच सदन में सत्ता पक्ष यानी नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों की तरफ से लगातार कमेंट्स पास किए जाते रहे ।

हैरानी की बात तो यह है कि जिस वक्त जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा हो रहा था उस वक्त मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी वहीं मौजूद थे लेकिन व अपनी सीट पर बैठकर सब कुछ चुपचाप देखते रहे माहौल शांत कराने के लिए अपनी तरफ से उनकी ओर से कोई कोशिश नहीं की गई उमर ऐसे खामोश थे मानो हंगामे पर उनकी मौन सहमति हो ।

उमर अब्दुल्ला सदर में तो चुप्पी साधे बैठे रहे लेकिन जैसे ही वह गांदर बल की एक पब्लिक मीटिंग में माइक के सामने पहुंचे उनके अंदर का नेता जाग पड़ा और 370 पर चुप्पी तोड़ते हुए केंद्र सरकार के फैसले को उन्होंने असंवैधानिक बता दिया ।

आपको बता दें कि 6 नवंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार ने इससे जुड़ा प्रस्ताव पास कराया और 7 नवंबर यानी आज पीडीपी ने विधानसभा में इसी तरह का प्रस्ताव पेश किया लेकिन इन दोनों के प्रस्ताव में बड़ा अंतर है पीडीपी ने जो प्रस्ताव पेश किया उसमें सीधे-सीधे अनुच्छेद 370 और 35a को बहाल करने की मांग की गई है लेकिन उमर अब्दुल्ला की सरकार ने जो प्रस्ताव पास करवाया उसमें सिर्फ और सिर्फ राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने की बात कही गई है और इसी को मुद्दा बनाकर पीडीपी अब्दुल्ला सरकार को घेरने में जुट गई है इस बीच कश्मीर की लड़ाई में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उतर पड़े और 370 की वापसी के प्रस्ताव को देश को आतंकवाद में झोक की कोशिश बता डाला धारा 370 जो समाप्त हो चुका है अब फिर से कश्मीर में कभी लागू नहीं हो सकता यह धारा 370 लाखों निर्दोष नागरिकों के खून से सना सनी धारा है कि राष्ट्रीय एकता के साथ खिलवाड़ करके देश को फिर से आतंकवाद की भट्टी में झोकना चाहते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर के जम्मू कश्मीर के अंदर जो कुछ कर रहा है य देश उसे कतई स्वीकार नहीं करेगा।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच मोहर लगा चुकी है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 370 एक स्थाई प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने की शक्ति थी अदालत ने भी कहा था कि जम्मू कश्मीर के पास बाकी राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है लिहाजा अब अगर जम्मूकश्मीर में 370 दोबारा लागू करना हो तो इसके लिए केंद्र सरकार को फिर से कानून बनाना होगा राजनीतिक कारणों से यह काम अब करीब-करीब असंभव है इसलिए 370 बहाली के नाम पर जो जंग छेड़ी जा रही है उससे पॉलिटिकल मैसेजिंग तो हो सकती है उससे ज्यादा कुछ नहीं इसलिए सवाल यह है कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस महज दिखावे के लिए स्टेटहुड का मुद्दा उठा रही है क्या पीडीपी अपना खोया हुआ वोट बैंक हासिल करने के लिए 370 के मुद्दे को हवा दे रही है क्या दूसरे कश्मीरी दल 370 के बहाने फिर से माहौल गरमाने की कोशिश में जुट गए हैं नेताओं को तो मुद्दे चाहिए जिनके जरिए वह अपनी राजनीति चमकाते रहे और जम्मू कश्मीर के नेताओं के लिए अनुच्छेद 370 एक ऐसा ही मुद्दा है ।

 नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के अलावा जम्मू कश्मीर की कुछ और क्षेत्रीय पार्टियां 370 बहाली की मांग कर रही हैं इनमें टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार इंजीनियर रशीद की आवामी इत्तेहाद पार्टी , अब्दुल गनी वकील की पीपल्स कॉन्फ्रेंस और खालिदा बेगम की आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां शामिल हैं यह पार्टियां देश और विदेश के तमाम मंचों से लगातार 370 का मुद्दा उठाती रही है लेकिन कांग्रेस का रुख सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया था उसमें 370 का जिक्र नहीं था लेकिन उसने चुनाव उसी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में लड़ा जो 370 को बहाल करने की मांग करती रही है 370 के मुद्दे पर कांग्रेस की यह दुविधा यूं ही नहीं है इसका इतिहास कांग्रेस के इतिहास से जुड़ा हुआ है ।

अक्टूबर 1947 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने का ऐलान कर दिया था 1949 में जम्मूकश्मीर के लिए विशेषाधिकार की मांग को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया गया इस प्रस्ताव को पंडित जवाहरलाल नेहरू और जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की रजामंदी थी 27 मई 1949 को उस प्रस्ताव को स्थाई तौर पर भारतीय संविधान का हिस्सा बना दिया गया और इसी के साथ अक्टूबर 1949 से जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य बन गया जिसका दर्जा बाकी राज्यों से अलग था उसके बाद से ही जम्मूकश्मीर को विदेश रक्षा वित्त और संचार को छोड़कर अपने नियम खुद तय करने का हक मिल गया अगर संसद को जम्मूकश्मीर के लिए कोई कानून लाना होता तो उसे वहां की सरकार की मंजूरी लेनी होती थी बाहर के लोगों के लिए वहां संपत्ति खरीदने पर रोक थी इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर का अलग झंडा था और संविधान भी अलग था ।

लेकिन जनसंघ के जमाने से ही बीजेपी जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के खिलाफ खड़ी थी जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके खिलाफ एक देश में दो विधान एक देश में दो निशान और एक देश में दो प्रधान नहीं चलेंगे का नारा दिया था उनकी मौत भी जम्मू कश्मीर में तब हुई थी जब वह वहां अनुच्छेद 370 का विरोध करने गए थे लिहाजा 370 को खत्म करना बीजेपी के लिए शुरू से ही बड़ा मुद्दा था और जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ केंद्र की सत्ता में लौटे तो राष्ट्रपति के विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए जम्मूकश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35a को खत्म कर दिया 370 अब उस इतिहास का हिस्सा बन चुका है जिसका ना वर्तमान है और ना भविष्य राजनीतिक इस्तेमाल के लिए समय-समय पर भले ही इसका जिक्र होता रहे लेकिन उससे कुछ बदलने वाला नहीं है ।

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